सुप्रीम कोर्ट लॉयर , एडवोकेट चेतन बैरवा का कहना है कि आर एस एस , बीजेपी , विश्व हिंदू परिषद तथा अन्य हिंदू संगठन सब एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं जिनकी सोच है कि वे भारत को हिंदू राष्ट्र बनाए लेकिन वो ऐसा हिंदू राष्ट्र हो जो मनु स्मृति के आधार पर चले ना कि संविधान के आधार पर । उनकी सोच है कि वे भारत को मनु की वर्ण व्यवस्था पर आधारित हिंदू राष्ट्र बनाए जहां ओबीसी के लोग तो शुद्र बनकर रहे , एससी के लोग अछूत बनकर रहे तथा एसटी के लोग वनवासी बनकर रहे । ऐसी मूर्खता पूर्ण सोच मे जीते हैं ये आर एस एस , बीजेपी के लोग । ये वो लोग हैं जो गाय को माता मानते हैं , उसके पिसाब को पवित्र मानकर पीने को तैयार हैं लेकिन एक आदिवासी को इंसान मानने को तैयार नही और उसे तुच्छ प्राणी समझकर उस पर पिसाब करना श्रेयस्कर समझते हैं । ये वो लोग हैं जो संसद की नई बिल्डिंग के उद्घाटन के मौके पर कंगना रनौत को तो निमंत्रित करने को तैयार हैं लेकिन भारत की महिला राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को बुलाने को तैयार नही क्योंकि वह एक आदिवासी है । ऐसा हिंदू राष्ट्र ये आर एस एस बीजेपी के लोग बनाना चाहते हैं । इन हालात में एससी एसटी ओबीसी के लोगो को फैसला करना होगा कि क्या वो आर एस एस , बीजेपी तथा अन्य हिंदूवादी संगठनों से जुड़े रहे या फिर उनसे दूर हट जाए । और हां , अगर आर एस एस और बीजेपी के लोग यह सोचते हैं कि मेरी बात ( चेतन बैरवा एडवोकेट की बात ) गलत है तो मोहन भागवत आज ही घोषणा करे कि वे और उनके साथी लोग मनु स्मृति पर आधारित हिंदू राष्ट्र बनाना नही चाहते । मोहन भागवत और प्रधान मंत्री मोदी भी बाबा साहब अम्बेडकर की तरह सबके सामने अन्यायपूर्ण मनु स्मृति को जलाकर दिखाए । हम मान जायेंगे कि आर एस एस और बीजेपी के लोग मनु स्मृति पर आधारित हिंदू राष्ट्र बनाना नही चाहते ।