भारतीय रेल अब सिर्फ अमीरों के लिए। किराया आसमान छू रहा है और सहूलते खत्म!
अच्छे दिन का वादा कर सत्ता में आई मोदी सरकार ने जून 2014 यानी सत्ता में आने के 1 महीने में ही रेल किराए में 14.2% की बढ़ोतरी की। इसके बाद से केंद्र सरकार ने लगातार तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर बार-बार रेल का किराया बढ़ाया। करोना का बहाना बनाकर जेष्ठ नागरिक को तथा सैनिकों की विधवाओं और खिलाड़ियों को मिलने वाली सुविधाओं के साथ-साथ अन्य अनेक प्रकार की सहुलते ख़तम की। प्लेटफार्म टिकट के दाम कई गुना बढ़ाएं, कई रेल और रेलवे स्टेशन बेच दिए। 2017 के बाद से रेलवे का अलग बजट की परंपरा खत्म कर रेलवे को पूरी तरह से केंद्र सरकार पर अधीन बना दिया। 2014 के मुकाबले आज रेल सफर दुगने से तिगुना महंगा हो चुका है। डायनेमिक प्राइसिंग और टिकट कैंसिलेशन के रिफंड में कटौती कर जनता की लूट की जा रही है। कंफर्म टिकट होने के बावजूद वेटिंग रूम में रुकने तक के लिए पैसे लिए जा रहे हैं।
टिकट किराया में इतनी बढ़ोतरी और जनता से लगातार लूट तथा कई रेल, रेलवे के सैकड़ों स्टेशन और असंख्य स्थाई संपत्ति बेचने के बावजूद करोना के बहाने से बंद की गई सहुलते ये गरीब विरोधी मोदी सरकार शुरू नहीं करेगी ऐसा बयान इनके रेल मंत्री द्वारा कल सदन में दीया गया। मुंबई उच्च न्यायालय नागपुर खंडपीठ के सामने जब यही मुद्दा, एक याचिकाकर्ता द्वारा डाली गई PIL माध्यम से आया सुनवाई के बाद माननीय उच्च न्यायालय ने 3 महीने के भीतर सहुलते फिर से शुरू करने बाबत निर्णय लेने के लिए केंद्र सरकार को 3 महीने का समय दिया। मुद्दा यह है की रेलवे की करोड़ों रुपए की संपत्ति बेचकर और रेल किराए मैं दुगनी से तिगुनी बढ़ोतरी करने के बाद भी पैसा न होने का रोना रोकर इस मोदी सरकार ने जनता को मिल रही सहुलते समाप्त कर दी परंतु अपने उद्योगपति दोस्तों का लाखों-करोड़ों का कर्जा माफ करते समय मोदी सरकार को पैसा की किल्लत याद नही आती। मेरी बात से सहमत हो तो इस वीडियो को जरूर से शेयर करें ताकि आम जनता तक इस मोदी सरकार के लूट के कारनामे पहुंच सके। धन्यवाद!
एडवोकेट अक्षय समर्थ